जब तक हम लोग अपना उद्धार करने की जिम्मेवारी दूसरो पर सौंपते रहेंगे तब तक हमारे समाज का सत्यानाश रूकने का साधन उपलब्ध नहीं हो सकता -वामन मेश्राम(राष्ट्रीय अध्यक्ष - बामसेफ)

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जब तक हम लोग अपना उद्धार करने की जिम्मेवारी दूसरो पर सौंपते रहेंगे तब तक हमारे समाज का सत्यानाश रूकने का साधन उपलब्ध नहीं हो सकता -वामन मेश्राम(राष्ट्रीय अध्यक्ष - बामसेफ)
बामसेफ के निश्चिय के अनुसार राष्ट्रीय वाल्मीकि जाति मुक्ति सम्मेलन हमने दिल्ली में आयोजित किया। आज से ३-४ साल पहले जब मैं पंजाब गया था तब मुझे ऐसा लगा कि वाल्मीकि जाति की जो समस्या है वह बहुत बड़ी समस्या है। इस समस्या के समाधान के लिए इससे संबंधित जो सूचना है इसके बारे में संबंधित व्यक्तियों से भी बहुत चर्चा करता रहा। इस चर्चा के बाद बामसेफ ने निश्चय किया। कि वाल्मीकि जातियों की जो समस्या है जिसकी तरफ अभी तक किसी ने ध्यान नहीं दिया, उस समस्या को बामसेफ गंभीरता से लेगी और इसी बात को ध्यान में रखकर यह २ दिन को सम्मेलन आयोजित किया गया ।
पूरे साल की गतिविधियों के लिए एक लगातार कार्यक्रम बनायेंगी। ऐसे सम्मेलन पूरे ५ साल तक लगातार अलग-अलग राज्य में होते रहेंगे। उसके बाद इस कार्यक्रम को अलग ढंग से चलाया जायेगा। इसका राष्ट्रीय स्तर का संगठन भी खड़ा किया जायेगा । जो बामसेफ के निर्देशन में सारे देश में चलता रहेगा। इसका Caderisation किया जायेगा। यानि वाल्मीकि जातियों में से कार्यकर्ताओं का निर्माण किया जायेगा। इन कार्यकर्ताओं को ज्यादा प्रशिक्षित और दीक्षित किया जायेगा और बाद में इन्हीं प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं में से सही नेतृत्व का चुनाव किया जायेगा। Caderisation करने का उद्देश्य यह है कि जो व्यक्ति सम्मेलन में विचारधारा गृहीत करेगा वो इसका प्रसार प्रचार अपने समाज में जाकर करेगा। यह विचारधारा का प्रसार-प्रचार वाल्मीकि समाज के लोगों को जागृत करने में मदद करेगा। बामसेफ ने ३-४ साल के अध्ययन के बाद यह जाना की, वाल्मीकि जाति की जो मूल समस्या है वह दिमागी समस्या है। बामसेफ ऐसा मानती है कि जब तक किसी समाज का दिमाग मुक्त नहीं होता वह समाज अन्य गुलामगिरी से मुक्त नहीं हो सकता। Caderisation का उद्देश्य यह है कि दिमागी मुक्ति का काम होता रहे। बामसेफ मानती है कि जो दिमागी मुक्ति का काम है वह एक बार करने से संभव नहीं है। दिमागी मुक्ति का काम ऐसा काम है जैसे की भगवान को मानने या जानने वाला मूर्तीकार पत्थर पर एक नहीं बल्कि कई दिनों तक तराशने के बाद उस पत्थर में मूरत दिखाई देती है। वैसे ही दिमागी मुक्ति का काम एक बार नहीं बल्कि बार-बार करते रहना पड़ेगा तब जाकर अपने इस कार्य का असर दिखाई देगा। इसी काम के लिए Caderisation की आवश्यकता है जो समाज में जाकर दिमागी मुक्ति का काम कर सके। यह जो दिमागी मुक्ति है वही सामाजिक क्रांति का सूत्रपात करेगा।
बामसेफ ने यह निश्चय किया है कि दिमागी मुक्ति के कायक्रमों को हर हालत में उत्तर भारत में चलाया जायेगा। इसके लिए ऐसा राष्ट्रीय सम्मेलन हर साल होता रहेगा। इसके अलावा हर एक राज्य में राज्य अधिवेशन भी होगा। बामसेफ ने जो राष्ट्रीय जाति मुक्ति सम्मेलन दिल्ली में किया उसकी तैयारी ३ महीने पहले से ही शुरू हुई थी। बामसेफ का २४ राज्यों के नेटवर्क द्वारा जो विचार समाज में दिए गये उसका ही यह नतीजा है कि आज १३ स्टेट के लोग उस सम्मेलन में आये थे। बामसेफ ऐसा मानती है कि इस शुरूआती सफलता का सम्पूर्ण देश में एक Uniformal Message जायेगा। अगर Uniformal Message समाज में नहीं जाएगा तो समस्या का समाधान करने के लिए जो पर्याप्त शक्ति चाहिए वह उपलब्ध नहीं होगी। बामसेफ सोचती है कि जब तक हम लोग अपना उद्धार करने की जिम्मेवारी दूसरों पर सौंपते रहेंगे तब तक हमारे समाज का सत्यानाश रोकने का साधन उपलब्ध नहीं हो सकता। जो लोग ऐसा मानते हैं कि अपने समाज का उद्धार करने की जिम्मेवारी दूसरों पर या भगवान पर छोड़ दी जाए (जो लोग भगवान को मानते है उनके लिए) तो आपके पास पूरे ५० साल का नतीजा है जिससे ये साफ साबित होता है कि अपने समाज का विकास करने के लिए कोई दूसरा व्यक्ति तो दूर, भगवान भी जन्म नहीं लेने वाला। जिस इंसान पर समाज ने भरोसा किया उन्होंने समाज को चौपट करने में कामयाबी हासिल की। इस बात को ध्यान में रखते हुए, इस सम्मेलन में ऐसा प्रण करते हैं कि, हम अपने समाज के उद्धार के लिए चाहे दूसरा कोई भी काम ना करेंगे, लेकिन इसकी जिम्मेवारी दूसरों पर नहीं डालेंगे।
हम दूसरों पर निर्भर रहना तभी छोड़ सकते हैं जब हमारे पैर इस काम के लिए मजबूत हो। अब वो समय आ गया है कि हमें अपनी समस्या का समाधान स्वयं करना होगा। बामसेफ अभी २६ राज्यों और २७८ जिलों में कार्यरत हैं इसके अलावा यह २००४ तक २५००-३००० तहसील और ५५० जिलों में पहुँचेगी। जहां-जहां बामसेफ पहुँचेगी। वहां-वहां इसका यह Subsidiary कार्यक्रम चलता रहेगा। बामसेफ ने अपने कार्यक्रम से यह ६००० टुकड़ों में बांटी गई मूलनिवासी जातियों को आपस में जोड़ने का तथा भाईचारा और एकता निर्माण करने का काम हाथ में लिया है जो बामसेफ के महाजागरण का एक हिस्सा है। यह जो महाजागरण का काम है यह बामसेफ के ८५ प्रतिशत सोशल बेस का हिस्सा है, जिसमें बामसेफ ने हस्तक्षेप करने का निर्णय किया। इस साल सारे देश में आदिवासीयों के ५ सम्मेलन रखे जायेंगे, इसके अलावा जो अनुसूचित जाति और ओबीसी जातियों से परिवर्तित जातियां हैं उनका भी एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने का बामसेफ का विचार है। इसके अलावा हर एक राज्य के अनुसूचित जाति में एक जाति ऐसी है जिनकी संख्या ज्यादा है और उन्हें Rebel जाति कहा जाता है, तो ऐसे Rebel जाति का मिलाप ब्राह्मणों ने अनुसूचित जातियों के ही लोगों का भड़काने का काम ब्राह्मण अपने बाह्मणवाद से कर रहा है, और यह ब्राह्मणों की रणनीति दोनों को चौपट/सत्यानाश करने की है। दुश्मन हमारे पैर को कमजोर करने का काम कर रहा है तो हमें अपने पैर मजबूत करने का काम करते रहना चाहिए। इस तरह से हमें अपने पैरों पर खड़ा रहने का समयबद्ध कार्यक्रम करना चाहिए, और इस पर अमल करना चाहिए।

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