मृत इंसानों में प्राण नहीं डाल सकते लेकिन पत्थर की मूर्तियों में पुजारी प्राण डाल सकते हैं।विश्व का सबसे बड़ा मजाक। मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा क्या है?

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मृत इंसानों में प्राण नहीं डाल सकते लेकिन पत्थर की मूर्तियों में पुजारी प्राण डाल सकते हैं।

            विश्व का सबसे बड़ा मजाक। 
            मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा क्या है? 

यह एक प्रक्रिया है जब पत्थर से इसे मूर्ति में मजदूर छैनी हथौड़े से पीट पीट कर बनाता है तब यह सबकी होती है। मूर्तिकार उस पर जूते पहने चढ़कर उसे तराशता है। मज़दूर उसे ढोकर मंदिर तक पहुँचाते हैं। तब तक मूर्ति छुआ-छूत नहीं करती। 

       फिर उसकी प्राण प्रतिष्ठा होती है। 

 पत्थर जो निर्जीव बोल, हिल नहीं सकता, उसमे प्राण डालने की नौटंकी पंडितो से शुरू होती हैं और सुरक्षित जगह मंदिर में ले जाने के बाद मूर्ति को छूने का अधिकार एक जाति के पास चला जाता है। बल्कि ज़्यादातर मामलों में तो मूर्ति या विग्रह को जहां रखा जाता है, वहाँ यानी मंदिर के गर्भ गृह में बाकी जातियों का प्रवेश वर्जित हो जाता है। वहाँ जाने की कोशिश करने पर कई बार सिर फोड़ दिए जाने की घटना इतिहास में हुई है। 

इसे ही शास्त्रों में प्राण प्रतिष्ठा कहा गया है।

इतिहास में पुजारियों ने कोई मूर्ति नहीं बनाई। परंतु मूर्ति बनाने के बाद प्राण प्रतिष्ठा करके वे मूर्ति का कंट्रोल अपने हाथ में ले लेते हैं। मूर्ति चमत्कार के गुण गान करके, डर, भय दिखाकर आय शुरू होती जो पंडितो को सम्मान और पैसे देने लगती है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति बनाने वाला उसे छू नहीं सकता। गर्भ गृह में घुस नहीं सकता। 

प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति छुआ-छूत करने लगती है।
अब तक तो यही प्रक्रिया की जा रही हो सकता की कोई नया वर्जन आ जाए।
शिक्षा ही सारी समस्याओं का समाधान है।
जय मूलनिवासी 
#22जनवरी_काला_दिन 

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