बुद्ध मुर्ति की चोरी कर ब्राह्मणों ने अयोध्या के राम की मुर्ति बनाई ।ब्राह्मणों के पास उनका खुद का कुछ भी नहीं है, विकसीत बौद्ध सभ्यता की चोरी कर ब्राह्मणों ने उनके ग्रंथ, मुर्तियों तथा परंपराओं बनाया है।

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बुद्ध मुर्ति की चोरी कर ब्राह्मणों ने अयोध्या के राम की मुर्ति बनाई ।ब्राह्मणों के पास उनका खुद का कुछ भी नहीं है, विकसीत बौद्ध सभ्यता की चोरी कर ब्राह्मणों ने उनके ग्रंथ, मुर्तियों तथा परंपराओं बनाया है।
बुद्ध के जन्म के बाद बालक बुद्ध सात कदम चलते हैं, उनके हर कदम के नीचे कमल फूल खिलते हैं और सातवें कदम में संपुर्ण विश्व को जितकर बुद्ध चक्रवर्ती सम्राट बनते हैं और घोषित करते हैं कि मैं दुनिया में अद्वितीय हूँ, मेरे जैसा अन्य कोई नहीं है। इसी बुद्ध को ध्यान में रखकर बौद्धों ने बाद में सर्वशक्तिमान एक ही ईश्वर के पुजा की परंपरा आरंभ कर दी थी और उन्हें ऐश्वरिय बौद्ध कहते थे।
यह बुद्ध अनादि अनंत, निर्गुण निराकार है जिसे बालदेवता, अलइलाह, याहवे, याहवाह (YHWH), महेश्वर, बडापेन जैसे अलग अलग नामों से लोग पुजते है।
सातवें कदम के नीचे कमल फूल था और बुद्ध कमल पर खड़े होकर दस दिशाओं में यह घोषणा करते हैं। ब्राह्मणों ने कमलपुष्प पर खड़े बालक बुद्ध की कॉपी कर बालक रामलल्ला की मुर्ति अयोध्या में स्थापित कर दी है। बुद्ध की दस दिशाएँ वास्तव में विश्व के दस अलग अलग आयाम (dimensions) है, और अलग अलग आयामों में बुद्ध के अलग अलग स्वरूप है, जिसे बुद्ध मुर्ति के उपर बुद्ध जीवन की दस अवस्थाएँ दिखाई जाती थी | बुद्ध मुर्ति में बुद्ध के दस अवस्थाएँ, कुल मिलाकर 11 बुद्ध अवस्थाएँ है। बौद्ध परंपरा में ध्यान अवस्थाएँ भी 11 है। आधुनिक विज्ञान भी यहीं मानता है कि कुल मिलाकर 11 डायमेंशन (11 Dimensions)होतें हैं।
ब्राह्मणों ने बुद्ध की दस अवस्थाओं को विष्णु के दस अवतारों में तब्दील किया और हर अवतार की झूठी कहानी लिखकर लोगों मुर्ख बनाया |जय मूलनिवासी 

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