आज़ादी के 55 वर्षो में शासक जातियों ने आदिवासियों को भुखमरी के कगार पर पहोचाया।वामन मेश्राम साहब ( राष्ट्रीय अध्यक्ष -बामसेफ )

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आज़ादी के 55 वर्षो में शासक जातियों ने आदिवासियों को भुखमरी के कगार पर पहोचाया।वामन मेश्राम साहब ( राष्ट्रीय अध्यक्ष -बामसेफ ) वैसे तो यह पूरा 19 वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन सामाजिक नेटवर्किंग के लिए समर्पित है मगर आज का पूरा दिनभर केवल आदिवासियों की समस्याओं पर चर्चा के लिए समर्पित है अर्थात आज दिनकर केवल आदिवासियों की समस्याओं से जुड़े विषयों पर ही चर्चा की जायेगी, जानकारी दी जायेगी। इसलिए पाँच दिन के इस राष्ट्रीय अधिवेशन में एक दिन आदिवासी सम्मेलन के लिए रखा गया है। पिछले वर्ष तक हम 85% मूलनिवासी बहुजन समाज के लिए अपील करते रहे। मगर वो अपील इस 85% मूलनिवासी बहुजन समाज के लिए एक जनरल अपील थी क्योंकि उसमें कोई विशेष (Specific) अपील नहीं थी और कोई विशेष अपील नहीं होने की वजह से उस अपील को लोगों पर कोई विशेष असर नहीं होता था अर्थात जो प्रभाव होना चाहिए था वह नहीं होता था। अपने पिछले तर्जुवे और खामियों को ध्यान में रखते हुए हमने यह निচ ििरत किया और 85% मूलनिवासी बहुजन समाज के लिए जो जनरल अपील थी उसे विशेष अपील में परिवर्तित करने का फैसला लिया और उसी फैसले के तहत इस अधिवेशन में एक दिन का सम्मेलन आदिवासियों के लिए रखा गया है। इसके पीछे का उद्देश्य यह है कि जो बहुत बड़ा भौगोलिक नेटवर्किंग का कार्यक्रम बामसेफ ने बनाया है। उसके साथ- साथ सामाजिक नेटवर्किंग का भी विस्तार किया जायेगा। अर्थात आदिवासियों को इकट्ठा किया जायेगा, सफाई कार्य करने वाली भंगी जातियों को इकट्ठा करने का कार्य किया जायेगा। ार्मपरिवर्तन मूलनिवासियों को इकट्ठा करने का कार्य किया जायेगा। हम लोगों को एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि यह जो आजादी है यह आदिवासियों की आजादी नहीं है। इसके बहुत सारे सबूत हैं आज विज्ञान तक भी इस बात के समर्थन में खड़ा है। अमेरिका के वाशिंगटन के अन्दर उलाह विश्वविद्यालय है और इस विश्वविद्यालय के बायो टैल्निॉलौजी विभाग के हेड माइकल वामाद ने जो डी-एन-ए के ऊपर शोध (रिसर्च) किया वह रिपोर्ट अब हमारे पास उपलब्ध हो गई है।उसकी ओरिजनल पूरी रिर्पोट अब हमारे पास उपलब्ध हो गइ है। उस रिपोर्ट हम जनवरी तक आप लोगों को उपलब्ध करा देंगे। इस रिपोर्ट में डी० एन० ए० रिसर्च के आधार पर उन्होंने सिद्ध किया कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य इन लोगों का डी०एन०ए० यूरोपियन लोगों के साथ मिलता है। यह रिसर्च विज्ञान के आधार पर हुआ और इस शोध ने यह साबित कर दिया कि ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय ये तीन वर्ग यहाँ के निवासी नहीं हैं, इसका अर्थ हुआ कि 15 अगस्त 1947 को एक यूरोप का विदेशी चला गया तथा दूसरा यूरोपीय विदेशी देश का शासक बन गया। जो यूरोप का विदेशी शासक बन गया उसने घोषणा किया कि भारत आजाद हो गया। और हमारे लोग उनके दुष्प्रचार से प्रभावित हो गये और गुलाम होते हुए भी भ्रमवश खुद को आजाद समझने लगे। वैसे तो कई किस्म के रोग होते हैं मगर भ्रम एक खतरनाक रोग है। मैं आपको एक उदाहरण बताता हूँ। मैं औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में जब बामसेफ का कार्य किया करता था तो District Industrial cor- poration जो फनांडीज के समय में बनाया गया था। उसका एक इंजिनियर औरगांबाद में आया और उसके रिश्तेदार उसको मेरे पास लेकर आये। उन्होंने कहा कि इस इन्सपैक्टर को पागल खाने में भर्ती करना है। मैंने पूछा यह तो नॉर्मल दिख रहा है इसको क्यों पागलखाने में भर्ती करना चाहते हो? उन्होंने कहा यह नार्मल नहीं है। यह नॉर्मल दिखाई जरूर दे रहा है, मगर है नहीं। हम चाय पीने के लिए गये। चाय आयी तो उसने आधा कम चाय पीया और चाय पीते-पीते ही वह बड्बड़ाने लगा, चिल्लाने लगा "देखो। वह आया, वह आया, उसके हाथ में बंदूक है, उसने बंदूक उठायी, उसने गोली मारी, मुझे गोली लग गई और वह नॉर्मल आदमी की तरह दिखने वाला व्यक्ति ऐसा कहते-कहते पीछे की तरफ गिर गया। दो मिनट बाद वह फिर उठ गया। उस व्यक्ति को भ्रम की बीमारी थी। जब उसकी बीमारी के कारण का पता किया तो पता चला कि चूँकि वह डी०आई०सी० का इन्सपैक्टर था और पैसा वसूली का काम करता था। जब वह एक व्यक्ति के घर वसूली करने गया तो उस व्यक्ति ने इस इन्सपैक्टर को धमकी दी कि गोली से मार दूँगा। यह इन्सपैक्टर डर कर वापस घर आ गया। उसके दिमाग में डर बैठ गया और डर ने उसके दिमाग में एक भ्रम पैदा कर दिया कि वह व्यक्ति उसे गोली मार देगा। उसे भ्रम नाम की बीमारी हो गयी। ठीक उसी तरह से हमारे 85% मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों के मन में एक भ्रम पैदा हो गया है कि हम आजाद हो गये हैं। विदेशी आर्य-ब्राह्मणों ने एक गंभीर षड्यंत्र के तहत हमारे मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों के बीच ऐसा दुष्प्रचार किया। उन्होंने हमारे लोगों में षड्यंत्र करके एक भ्रम की बीमारी पैदा की है जबकि डी०एन०ए० के आधार पर भी यह साबित होता है कि एक यूरोपीयन शासक भारत से चला गया मगर दूसरा यूरोपीयन भारत का शासक बन गया। यही कारण है कि यूरोपीय विदेशी शासकों ने अपनी आजादी में भारत के मूलनिवासियों आदिवासियों के साथ धोखेबाजी के अलावा कुछ नहीं किया और अंग्रेजों के जाने के बाद सब कुछ उनके हाथ में होने की वजह से उन्होंने मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों के साथ सिर्फ और सिर्फ धोखेबाजी की। वैसे तो समस्त 85% प्रतिशत मूलनिवासियों के साथ धाखेबाजी हुई मगर सबसे ज्यादा धोखेबाजी आदिवासियों के साथ हुई। यह धोखेबाजी अगर सबसे ज्यादा किसी ने की तो वह कांग्रेस ने की क्योंकि आज भी 90% आदिवासी कांग्रेस के साथ जुड़ा हुआ है। कांग्रेस के साथ जुड़े होने के कारण आदिवासी धाखेबाजी के शिकार होते रहे। गांधी जी ने आदिवासियों को अपने साथ जोड़ा मगर स्वयं को आदिवासियों से नहीं जोड़ा। आदिवासी गांधी जी से जुड़े थे और गांधी जी ब्राह्मणवाद से जुड़े हुए थे और इस तरह से आदिवासी ब्राह्मणवाद से जुड़े। इस प्रकार गांध गी जी से जुड़ने से तथा ब्राह्मणवाद से जुड़ने से आदिवासियों के साथ सबसे बड़ा धोखा हुआ।बिहार से कटकर झारखण्ड बना। झारखण्ड में जब झारखंड आंदोलन शुरु हुआ तो झारखंड में लगभग 75% आदिवासी निवास करते थे मगर आज झारखंड बनने के बाद 20% आदिवासी लोग झारखंड में रहते हैं। क्या हो गया? इन आदिवासियों को क्या आकाश निगल गया या धरती खा गई? इन आदिवासियों को न आकाश ने निगला और न ही इन्हें धरती ने खाया बल्कि झारखंड के आदिवासियों का स्थानान्तरण (माइग्रेशन) हो गया। झारखंड के आदिवासी अंडमान निकोबर में गये, झारखंड के आदिवासी आसाम में गये तथा कई अन्य जगह गये। स्वाभाविक है जब स्थानान्तरण होगा तो जो झारखंड में जो आदिवासियों की जनसंख्या 75% थी वह कम हो गई। आज जो आदिवासी आसाम में गये उस आसाम में भी कांग्रेस की सरकार है। मगर जो आसाम में आदिवासी हैं जोकि झारखंड से आसाम में गये हैं। उनके साथ आसाम के आदिवासियों को लड़ाने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है कि ये तो बाहर के लोग हैं, आसाम के नहीं हैं आसाम के जो आदिवासी हैं वे झारखंड आदि से आये हुए आदिवासियों को दिक्कू कहते हैं, और दिक्कू का मतलब है दिक्कत पैदा करने वाला। आसाम के आदिवासी झारखंड से आये हुए आदिवासियों को कहते हैं कि ये हमारे लिए दिक्कू हैं। मगर यह आसाम के आदिवासियों की सोच नहीं है बल्कि यह सोच उनके मन में लाई गयी, उनके दिमाग में घुमाई गयी ताकि एक आदिवासी को दूसरे आदिवासी के साथ लड़ाया जा सके। इस प्रकार आदिवासी से आदिवासी को लड़ाया गया, भिड़ाया गया, झगड़ा कराया गया। झारखंड की आदिवासियों की अधिक जनसख्या ब्राह्मणवादियों के लिए समस्या थी। आसाम के आदिवासियों की अधि एक जनसंख्या भी ब्राह्मणवादियों के लिए समस्या है। यदि झारखंड के आदिवासी स्थानान्तरित होकर आसाम में चले जाते हैं तो वहाँ की आदिवासियों की संख्या बढ़ जाती है तो यह भी अपने आप में एक समस्या उत्पन्न कर सकती है। इसलिए एक आदिवासी के साथ में दूसरे आदिवासी को लड़ा दिया जाता है ताकि इनकी ताकत न बन सके। ये अपनी सत्ता न बना सकें। आसाम में कांग्रेस की सरकार है मगर कांग्रेस की सरकार ने वहाँ के आदिवासियों को शैड्यूल्ड ट्राईब्स में सम्मिलित (In- clude) तक भी नहीं किया क्योंकि अगर वह शैड्यूल्ड ट्राईब्स में शामिल हो जाते तो उन्हें भारत सरकार की ओर से जो सुविधाएं संविधान के द्वारा निर्धारित की गई हैं वे देनी पड़तीं। इसलिए आसाम की कांग्रेस सरकार ने उन्हें शैड्यूल्ड ट्राईब्स में सम्मिलित नहीं किया ताकि वे इन सुविधाओं से वंचित रहें। जो आदिवासी कांग्रेस को वोट देकर सत्ता में भेजते रहे अर्थात आदिवासियों के वोटों के बदौलत आसाम में राज, कांग्रेस का ही रहा। उसी कांग्रेस ने आसाम में आदिवासियों को शैड्यूल्ड ट्राईब्स की सुविधा देने से भी इन्कार कर दिया। देश में कांग्रेस का शासन बनाने में आदिवासियों का बहुत बड़ा योगदान रहा। दिल्ली में कांग्रेस की सरकार रहे इसके लिए आदिवासियों ने अपनी पूरी ताकत तक लगाई। मगर कांग्रेस ने उन्हीं आदिवासियों को कुचलने के लिए उस ताकत का इस्तेमाल किया। झारखंड से लोग स्थानान्तरित हो गये यह एक अलग बात है। मगर केवल इसी कारण से झारखंड में आदिवासियों की जनसंख्या कम नहीं हुई। इसके. अन्य भी बहुत से कारण हैं। जो शासक जाति के लोग हैं वो कितने बदमाश हैं और कितनी प्लानिंग बनाकर वे दूरदर्शिता से कार्य करते हैं। वह आप लोगों की समझ से भी शायद बाहर है। उन्होंने आदिवासियों को खत्म करने का एक दूसरा प्लान बनाया। झारखंड में उन्होंने उद्योग विकासित (इन्डस्ट्री डवलेपमेंट) करने का बहुउद्देशिय कार्यक्रम (मल्टी स्टार प्रोग्राम) बनाया। सबसे बड़े-बड़े उद्योग झारखंड में लगाये गये। बिहार व झारखंड का बँटवारा होने के बाद सारे उद्योग झारखंड में ही स्थापित किए गये और बिहार के तमाम भूमिहार (राजपूत) व उद्योगपति ब्राह्मणवादी शासक जाति के लोगों को झारखंड में स्थानान्तरित कर दिया गया। इस प्रकार वहाँ पर ब्राह्मणवादी शासक जाति के लोगों ने बड़े-बड़े उद्योग वहाँ पर लगाये। हमारे मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों ने मजबूरी में स्थानान्तरण (Migration) किया मगर बिहार के भूमिहारों (ब्राह्मण, व राजपूतों) ने विकास अर्थात उन्नति करने के लिए सम्पन्न बनने के लिए स्थानान्तरण किया।बिहार से भूमिहारों को झारखंड ले जाया गया और उद्योगों के लिए आदिवासियों की जमीनें छीनी गयीं। विकास और सम्पन्नता ब्राह्मणवादी भूमिहारों की तथा विस्थापन और बर्बादी आदिवासियों की। बिहार से झारखंड में भूमिहार चले गये और झारखंड से मजबूरीवश आदिवासी आसाम चले गये। इस प्रकार जो इनकी जनसंख्या का अनुपात झारखंड में ज्यादा था वह अनुपात कम हो गया और गैर आदिवासी लोगों की संख्या का अनुपात बढ़ गया। आदिवासियों की संख्या का अनुपात घटते- घटते 75% से 27% तक आ गया। इसका परिणाम यह हुआ कि जब झारंखंड के लिए आदिवासी आन्दोलन चला रहे थे तब झारखंड नहीं बनाया गया क्योंकि उस समय उनकी आबादी 75% थी और सत्ता उनके हाथों में चली जाती। इसीलिए झारखंड तब बनाया गया जब आदिवासियों की संख्या झारखंड में मात्र 27% रह गई। जब झारखंड बना तो झारखंड के आदिवासियों को बड़ी खुशी हुई मगर पावर (सत्ता) बीजेपी के मुख्यमंत्री को मिली। इस तरह से झारखंड के लिए आंदोलन चलाने वाले आदिवासियों को सत्ता नहीं मिली बल्कि आदिवासी कांग्रेस के समर्थक थे कांग्रेस को भी सत्ता नहीं मिली। सत्ता बी॰जे०पी० के हाथों में चली गई क्योंकि बिहार से आये भूमिहारों (ब्राह्मण व राजपूत) ने झारखंड में अपना आध् ार पक्का कर लिया था। उन्होंने आदिवासियों के वोट खरीदकर बाबूलाल मरांडी जो मुख्यमंत्री बना दिया। कांग्रेस ने म०प्र० से छत्तीसगढ़ अपने हिस्से में ले लिया। बी॰ जे॰पी॰ ने झारखंड ले लिया। आदिवासियों के द्वारा मांगे गये राज्य बने मगर एक कांग्रेस ने कब्जाया तो दूसरा बी॰ जे॰पी॰ ने। झारखंड का बिल जब पार्लियामेन्ट में था तो कांग्रेस व बी॰ जे॰पी॰ ने उसे पास नहीं होने दिया। मगर जब बीजे०पी० व कांग्रेस में समझौता हुआ कि कांग्रेस को छत्तीसगढ़ मिले और बी॰जे०पी० को झारखंड तब कहीं जाकर इन दो राज्यों के बिल पास हुए। आदिवासियों के ये दोनों राज्य बने मगर आदिवासियों के सच्चे प्रतिनिधि (Real Representative) सत्ता में नहीं पहुँच पाये। छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी मुख्यमंत्री है तथा चीफ सेक्रेट्री ब्राह्मण है। बाबूलाल मरांडी झारखंड का मुख्यमंत्री है तो चीफ सेक्रेट्री दूबे है। अगर कोई दूबे नहीं होता तो कोई चौबे होता। इस प्रकार इन दोनों ब्राह्मणवादी पार्टीयों ने जो प्रशासनिक पावर है उसको भी अपने नियंत्रण में रखा तथा लोगों को दिखाने के लिए मरांडी को सामने लाया गया कि देखो भाई तुम्हारा ही प्रतिनिधि है। हमारे लोग भ्रम में ही खुश होते रहते हैं कि हमारा राज आ गया है। मगर निर्णय लेने की कोई शक्ति या क्षमता हाथ में नहीं आयी। जो बैल होता है उसकी रस्सी (हाँकने वाली डोर) दूसरों के हाथ में होती है और बैल उतना ही दौड़ता है जितना कि वह रस्सी पकड़ने वाला उसको दौड़ाता है। अपनी मर्जी से बैल तेज या कम नहीं दौड़ सकता। वह अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर सकता। ब्राह्मणवादी लोग कितना प्लान बनाकर हमारे लोगों के साथ में गोखेबाजी कर रहे हैं। हमारे लोगों को उस बात की खबर व जानकारी तक भी नहीं है। हमारे लोगों को ब्राह्मणवादी लोग बताते रहते हैं कि इंटरनेशनल मोनेटरिंग फंड, वर्ल्ड बैंक, वर्ल्ड ट्रेड ऑरगेनाइजेशन ये सबसे बड़ी तुम्हारी समस्या है और अगर तुमको आंदोलन करना है तो इनके विरोध में आन्दोलन करो। असली दुश्मपन खुद इस देश के ब्राह्मणवादी शासक जाति के लोग हैं मगर वो अपना बचाव करने के लिए दुश्मन किसी और को बता रहे हैं। असली दुश्मन खुद को छुपाते हुए बता रहा है कि तुम्हारा दुश्मन न्यूयार्क और वाशिगंटन में बैठा हुआ है। लड़ना हो तो उसके खिलाफ लड़ो। अब हम अमेरिका लड़ने के लिए कहाँ जायें? कैसे जायें? वो हमारी लड़ाई की दिशा बदल देते हैं। बदमाश स्वयं भारत के ब्राह्मणवादी शासक हैं क्योंकि इनकी मर्जी के बिना कोई भी विदेशी इस देश में घुस भी नहीं सकता। क्योंकि किसी भी देश की जो राजसत्ता होती है उसकी अनुमति के बिना किसी भी अन्य राष्ट्र का व्यक्ति उस राष्ट्र में प्रवेश तक भी नहीं कर सकता है। वैधानिक शासन की अनुमति के बगैर कुछ भी नहीं हो सकता। वर्ल्ड बैंक हो वा कोई भी अन्य कम्पनी ये अपनी मर्जी से नहीं बल्कि दिल्ली में बैठे जो ब्राह्मणवादी लोग है.उनकी मर्जी से, कैबिनेट में पास हुए फैसलों के आधार पर इस देश में प्रवेश कर रहे हैं। बल्कि यह कहना उचित होगा कि ब्राह्मणवादी लोग स्वयं बाहें फैलाकर स्वागत कर रहे हैं। कम्पनियों को आमन्त्रित करने का फैसला करने वाले लोग दूसरों को बदमाश बता रहे हैं। आदिवासियों के साथ सबसे ज्यादा खेबाजी हो रही है। आज सबसे ज्यादा अगर भूखमरी से कोई मर रहा है तो वह भारत का आदिवासी है। रोज अखबारों में आदिवासियों की भूखमरी द्वारा हुई मृत्यु के बारे में छपकर आता है। सबसे ज्यादा भूखमरी गरीबी, साचारी और बेबसी के शिकार आज भारत के आदिवासी हैं। कांग्रेस की वजह से ये सभी समस्याएं निमार्ण हुई मगर इन समस्याओं से अन्त पैदा हुआ, वे उस असन्तोष को दूसरी तरफ मोड़ रहे हैं। कुछ लोग आदिवासियों को हिन्दू बनाने का कार्यक्रम चला रहे हैं और आदिवासियों को - बता रहे हैं कि नाओं के लिए मुसलमान जिम्मेवार हैं। ऐसा के प्रचार कर रहे हैं। वे आदिवासियों से कह रहे हैं कि जरा इन मुसलमानों का बंदोबस्त करो तो तुम्हारी समस्याओं का समाधान हो जायेगा। मुसलमानों के खिलाफ भड़‌काकर हनाने लोगों से ही हमारे लोगों को मायया जा रहा है। यानी कि समस्या कुछ और है. समस्या पैदा करने वाले और हैं, मगर ब्राह्मणवादी लोग अपना बचाव करके हमारे लोगों को एक-दूसरे के साथ लड़ा देते हैं। ये जो हमारे लोगों का इस्तेमाल करने वाले ब्राह्मणवादी लोग हैं, ये दूसरी किस्म की ४ बिजी हमारे लोगों के साथ कर रहे हैं। इन सभी बड्यंत्रों व धोखेबाजियों को ठीक से समझना व जानना हमारे लोगों के लिए अति आवश्यक है। कंवल आर्थिक या राजनैतिक देखेबाजी ही नहीं बल्कि कई किस्म की ऐखेबाजी हमारे लोगों के साथ आज हो रही हैं। आज हमारे पढ़े-लिखे उच्चशिक्षा प्राप्त लोगों का तीन सूत्रीय कार्यक्रम है (1) खाओ (2) सो जाओ और (3) सुबह टायलेट को जाओ। तथा अगले दिन फिर उसी प्रक्रिया को दोहराओं समाज के लिए उनके पास समय नहीं है. ऐसा वे हमेशा बताते रहते हैं। नेहरु जो काँग्रेस के नेता थे, वे जंगलों में आदिवासियों के पास जाते थे। इसलिए नहीं.कि उन्हें आदिवासियों की समस्याओं से कुछ लेना-देना था बल्कि इसलिए कि आदिवासियों के साथ नाचते हुए फोटो खिचवाँकर मीडिया के माध्यम से मूलनिवासियों के साथ आसानी से धोखेबाजी कर सकें। आदिवासियों की समस्याओं का समाधान करना उनका उद्देश्य नहीं था। आदिवासियों के कपड़े पहनकर नेहरु जी आदिवासियों के साथ नाचते थे और फोटो खिचवाते थे फिर ब्राह्मणवादी मिडिया प्रचार करता था कि देखो इंग्लैण्ड में पढ़ा-लिखा व्यक्ति आदिवासियों से कितना प्रेम व लगाव रखता है। कितना महान आदमी है। वे आदिवासियों के साथ नाचकर अपनी महानता का प्रचार करते थे। चूँकि इंदिरा गाँधी जवाहर लाल नेहरु की औरस पुत्री थी, इसलिए जो उसके पिता नेहरु ने किया वही षड्यंत्र इंदिरा गाँधी ने भी किया। उसने भी फोटों खिचवाये। इन्दिरा के मरने के बाद फिर राजीव गाँधी आये। उसने भी आदिवासियों के साथ नाचने की परम्परा को बखूबी निभाया, फोटो खिचवाये। इस प्रकार से कांग्रेसी ब्राह्मणवादी लोग आदिवासियों के साथ नाचते रहे और आदिवासियों को अपने साथ नचाते रहे। मगर आदिवासियों की उन्नति के लिए कभी कुछ नहीं किया। इसी नाचने नचाने में इन ब्राह्मणवादी शासकों ने 50-55 वर्ष गुजार दिये और केवल नाचने नचाने से ही आदिवासियों के वोट लेते रहे। इतनी बड़ी धोखेबाजी हुई उसी का यह परिणाम है कि आज भारतवासी भुखमरी से तड़फ तडफ कर मर रहे हैं। मगर आदिवासियों को अभी भी इस धोखेबाजी की कोई जानकारी और खबर नहीं है। जिन मूल भारतीयों ने अंग्रेजों के खिलाफ इतनी बड़ी- बड़ी लड़ाईयाँ लड़ी, कुर्बानियाँ दी आज उन आदिवासियों के बीच प्रचार करना होगा ताकि वह वास्तविकता को समझ सकें और दुश्मन को पहचान कर मूलनिवासियों की आजादी के आन्दोलन में अपनी सक्रिय भूमिका अदा कर सके। जय मूलनिवासी साभार गूगल ट्रांसलेट ============================================================================================================================================================================ In the 55 years of independence, the ruling castes brought the tribals to the brink of starvation. Waman Meshram Saheb (National President - BAMCEF) Although this entire 19th National Convention is dedicated to social networking, but today's entire day is dedicated to discussing the problems of the tribals only, that is, today Dinkar will discuss only the topics related to the problems of the tribals, information will be given. Therefore, in this five-day national convention, one day has been kept for the tribal conference. Till last year, we kept appealing for 85% indigenous Bahujan Samaj. But that appeal was a general appeal for this 85% indigenous Bahujan Samaj because there was no specific appeal in it and due to the absence of any special appeal, that appeal did not have any special effect on the people, that is, the effect that should have been there was not there. Keeping in mind our previous experiences and shortcomings, we decided and decided to convert the general appeal for 85% indigenous Bahujan Samaj into a special appeal and under the same decision, a one-day conference has been kept for the tribals in this convention. The purpose behind this is that along with the huge geographical networking program that BAMCEF has made, social networking will also be expanded. That is, tribals will be brought together, the task of bringing together the scavenging castes will be undertaken. The task of bringing together the converted natives will be undertaken. We should keep one thing in mind that this freedom is not the freedom of the tribals. There is a lot of evidence for this, today even science is in support of this. There is a university in Washington, USA and the report of the research on DNA done by Michael Vamad, the head of the biotechnology department of this university, is now available to us.Its original complete report is now available with us. We will make that report available to you people by January. In this report, on the basis of DNA research, they proved that the DNA of Brahmins, Kshatriyas, Vaishyas matches with that of Europeans. This research was done on the basis of science and this research proved that these three classes of Brahmins, Vaishyas, Kshatriyas are not residents of this place, which means that on 15th August 1947, one foreigner from Europe left and another European foreigner became the ruler of the country. The foreigner who became the ruler of Europe declared that India has become independent. And our people got influenced by their propaganda and despite being slaves, started thinking themselves free due to delusion. Although there are many types of diseases, delusion is a dangerous disease. I will tell you an example. When I used to work for BAMCEF in Aurangabad (Maharashtra), the District Industrial Corporation which was formed during the time of Fernandes. One of his engineers came to Aurangabad and his relatives brought him to me. They said that this inspector has to be admitted to a mental asylum. I asked, he looks normal, why do you want to admit him to a mental asylum? They said he is not normal. He looks normal, but he is not. We went to have tea. When the tea came, he drank less than half of it and while drinking tea, he started mumbling and shouting, "Look. He came, he came, he has a gun in his hand, he raised the gun, he shot, I got shot and that person who looked like a normal man fell backwards saying this. After two minutes, he got up again. That person had a disease of delusion. When the cause of his disease was found out, it was found that he was an inspector of DIC and used to do the work of extortion. When he went to a person's house to extort money, that person threatened this inspector that he will shoot him. This inspector came back home in fear. Fear took hold of his mind and fear created an illusion in his mind that that person will shoot him. He got a disease called delusion. Similarly, an illusion has been created in the minds of 85% of our indigenous Bahujan Samaj people that we have become free. The foreign Aryan-Brahmins have spread such a propaganda among our indigenous Bahujan Samaj people as part of a serious conspiracy. They have created an illusion among our people by conspiring, whereas on the basis of DNA also it is proved that one European ruler left India but another European became the ruler of India. This is the reason that the European foreign rulers did nothing but cheat the indigenous tribals of India in their freedom struggle and after the British left, because everything was in their hands, they only cheated the indigenous Bahujan Samaj people. Although 85% of the indigenous people were cheated, but the tribals were cheated the most. If anyone did the most cheating, it was the Congress because even today 90% of the tribals are associated with the Congress. Due to their association with Congress, tribals were being cheated. Gandhi ji associated tribals with him but did not associate himself with tribals. Tribals were associated with Gandhi ji and Gandhi ji was associated with Brahminism and in this way tribals got associated with Brahminism. In this way, the biggest betrayal happened with tribals by associating with Gandhi ji and Brahminism.Jharkhand was carved out of Bihar. When the Jharkhand movement started in Jharkhand, about 75% of the tribals lived in Jharkhand, but today, after the formation of Jharkhand, only 20% of the tribals live in Jharkhand. What happened? Did the sky swallow these tribals or did the earth eat them? Neither did the sky swallow these tribals nor did the earth eat them, but the tribals of Jharkhand migrated. The tribals of Jharkhand went to Andaman Nicobar, the tribals of Jharkhand went to Assam and many other places. Naturally, when the migration happens, the tribal population of Jharkhand, which was 75%, will decrease. Today, the tribals who went to Assam have a Congress government in Assam as well. But the tribals in Assam who have gone to Assam from Jharkhand, a program is being run to make the tribals of Assam fight with them, saying that these are outsiders, they are not from Assam. The tribals of Assam call the tribals who have come from Jharkhand etc. as Dikku, and Dikku means troublemaker. The tribals of Assam call the tribals who have come from Jharkhand as 'Diku' for us. But this is not the thinking of the tribals of Assam, rather this thinking was brought into their minds, was twisted in their minds so that one tribal can be made to fight with another tribal. In this way, tribals were made to fight with each other, were made to clash, quarrel was made. The high population of tribals in Jharkhand was a problem for the Brahminists. The high population of tribals in Assam is also a problem for the Brahminists. If the tribals of Jharkhand migrate to Assam and the number of tribals there increases, then this too can create a problem in itself. Therefore, one tribal is made to fight with another tribal so that they cannot become powerful. They cannot establish their power. There is a Congress government in Assam but the Congress government did not even include the tribals there in the Scheduled Tribes because if they were included in the Scheduled Tribes, then the Government of India would have to give them the facilities prescribed by the Constitution. Therefore, the Congress government of Assam did not include them in the Scheduled Tribes so that they remain deprived of these facilities. The tribals who kept sending the Congress to power by voting for it, that is, Congress ruled in Assam due to the votes of the tribals. The same Congress refused to give the facilities of Scheduled Tribes to the tribals in Assam. The tribals played a huge role in making the Congress rule in the country. The tribals even used all their strength to ensure that the Congress government remained in Delhi. But the Congress used that strength to crush the same tribals. It is a different matter that people were transferred from Jharkhand. But the tribal population in Jharkhand did not decrease only due to this reason. There are many other reasons for this. How wicked the people of the ruling caste are and how much planning they do and foresight they do. That is probably beyond your understanding. They made another plan to eliminate the tribals. They made a multi-star program to develop industry in Jharkhand. The biggest industries were set up in Jharkhand. After the division of Bihar and Jharkhand, all the industries were set up in Jharkhand and all the Bhumihars (Rajputs) and industrialists of the Brahminist ruling caste of Bihar were transferred to Jharkhand. In this way, the people of the Brahminist ruling caste set up big industries there. Our native Bahujan Samaj people migrated under compulsion but the Bhumihars (Brahmins and Rajputs) of Bihar migrated to become prosperous and to progress.Bhumihars were taken from Bihar to Jharkhand and tribal lands were snatched for industries. Development and prosperity went to Brahminist Bhumihars and displacement and ruin went to tribals. Bhumihars went from Bihar to Jharkhand and tribals were compelled to go to Assam from Jharkhand. Thus, the ratio of their population which was high in Jharkhand decreased and the ratio of non-tribals increased. The ratio of tribal population decreased from 75% to 27%. The result of this was that when tribals were running a movement for Jharkhand, Jharkhand was not created because at that time their population was 75% and power would have gone into their hands. That is why Jharkhand was created when the number of tribals in Jharkhand was reduced to just 27%. When Jharkhand was created, the tribals of Jharkhand were very happy but the power went to the Chief Minister of BJP. In this way, the tribals who ran the movement for Jharkhand did not get power, rather the tribals were supporters of Congress and Congress also did not get power. Power went into the hands of BJP because Bhumihars (Brahmins and Rajputs) from Bihar had established their base in Jharkhand. They bought the votes of the tribals and made Babulal Marandi the Chief Minister. Congress took Chhattisgarh from MP. BJP took Jharkhand. The states demanded by the tribals were formed but one was occupied by Congress and the other by BJP. When the bill for Jharkhand was in the Parliament, Congress and BJP did not let it pass. But when there was an agreement between BJP and Congress that Congress should get Chhattisgarh and BJP should get Jharkhand, then the bills for these two states were passed. These two states were formed for the tribals but the real representatives of the tribals could not reach power. In Chhattisgarh Ajit Jogi is the Chief Minister and the Chief Secretary is a Brahmin. Babulal Marandi is the Chief Minister of Jharkhand and the Chief Secretary is Dubey. If there was no Dubey then there would have been some Choubey. In this way both these Brahminist parties kept the administrative power under their control and Marandi was brought forward to show the people that look brother, he is your representative. Our people keep being happy in the illusion that our rule has come. But no power or ability to take decisions has come in their hands. The rope of the bull is in the hands of others and the bull runs only as much as the person holding the rope makes it run. The bull cannot run fast or slow as per its wish. It cannot do anything as per its wish. How many plans the Brahminist people are making and playing tricks with our people. Our people do not even have any news or information about that. Our people are told by Brahminist people that International Monitoring Fund, World Bank, World Trade Organization are your biggest problems and if you want to protest then protest against them. The real enemy is the Brahminist ruling caste people of this country themselves but to protect themselves they are calling someone else as the enemy. The real enemy is hiding itself and telling that your enemy is sitting in New York and Washington. If you want to fight then fight against them. Now where should we go to America to fight? How should we go? They change the direction of our fight. The scoundrels themselves are the Brahminist rulers of India because without their permission no foreigner can enter this country. Because without the permission of the ruling power of any country a person of any other nation cannot even enter that nation. Nothing can happen without the permission of the legal government. Whether it is World Bank or any other company, they do not do it on their own will but the Brahminist people sitting in Delhi do it.They are entering this country on their own will, on the basis of decisions passed in the cabinet. Rather it would be appropriate to say that the Brahminist people themselves are welcoming them with open arms. The people who decide to invite the companies are calling others scoundrels. The most injustice is being done to the tribals. Today, if anyone is dying the most due to starvation, then it is the tribals of India. Everyday, newspapers publish news about the deaths of tribals due to starvation. The tribals of India are the most affected by starvation, poverty, poverty and helplessness. All these problems were created because of the Congress but these problems came to an end, they are diverting that discontent to another direction. Some people are running a program to convert the tribals into Hindus and are telling the tribals that Muslims are responsible for the problems. They are propagating this. They are telling the tribals that if you just deal with these Muslims, then your problems will be solved. Our people are being exploited by those who incite against Muslims and kill them. That means the problem is something else. The people who create the problem are others, but the Brahminist people make our people fight with each other to protect themselves. These Brahminist people who are using our people are doing another kind of conspiracy with our people. It is very important for our people to understand and know all these conspiracies and frauds properly. Not only economic or political conspiracy but many types of conspiracy are being done with our people today. Today our educated and highly educated people have a three-point program (1) Eat (2) Sleep and (3) Go to the toilet in the morning. And the next day again the same process. They do not have time for the Repeat community. They keep saying this always. Nehru, who was the leader of the Congress, used to go to the tribals in the forests. That is why he did not.That they had nothing to do with the problems of the tribals but rather they did it so that they could easily deceive the natives through the media by getting themselves photographed while dancing with the tribals. Solving the problems of the tribals was not their aim. Nehru ji used to dance with the tribals wearing the clothes of the tribals and get photographs taken, then the Brahminist media used to propagate that look how much love and affection this person educated in England has for the tribals. What a great man he is. They used to propagate their greatness by dancing with the tribals. Since Indira Gandhi was the biological daughter of Jawaharlal Nehru, Indira Gandhi also did the same conspiracy that her father Nehru did. She also got photographs taken. After Indira's death, Rajiv Gandhi came again. He also followed the tradition of dancing with the tribals very well, got photographs taken. In this way, the Brahminist Congress people kept dancing with the tribals and kept making the tribals dance with them. But they never did anything for the progress of the tribals. These Brahminist rulers spent 50-55 years in this dance and kept taking votes of the tribals only by making them dance. This is the result of such a big fraud that today Indians are dying of starvation. But the tribals still have no information or news about this fraud. Today, propaganda has to be done among those tribals who fought so many big battles against the British and made sacrifices so that they can understand the reality and recognize the enemy and play an active role in the freedom movement of the natives. Jai Moolnivasi Courtesy Google Translate

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