सुजातागढ़ स्तूप का इतिहास

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सुजातागढ़ स्तूप का इतिहास

सुजातागढ़: एक ऐतिहासिक स्थल

*सुजातागढ़* वह ऐतिहासिक स्थल है जो सुजाता नामक उस स्त्री के निवास स्थल को चिरस्मरणीय बनाने के उद्देश्य से निर्मित किया गया है, जिसने भगवान बुद्ध को खीर का भोग कराया था।

इतिहास और पुष्टि

इस तथ्य की पुष्टि 8वीं-9वीं शताब्दी ई. के अभिलेख से होती है, जिसमें "देवपाल राजस्य सुजाता गृह" अंकित है। यह स्तूप गुप्त काल से पाल युग के मध्य तीन चरणों में निर्मित किया गया था।

उत्खनन और संरचना

इस स्थल का उत्खनन दो बार भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा कराया गया:

  • 1873-1874 ई. में
  • पुनः 2009-2010 ई. में

उत्खनन से एक वृत्ताकार द्विभेधी स्तूप अनावृत हुआ, जो चारों प्रधान दिशाओं में विस्तारित था। इस संरचना का प्रदक्षिण-पथ काष्ठ-वेदिका से घिरा था और मूल स्वरूप में पूरी संरचना पर चूना प्लास्टर का लेप था।

प्रदर्शनी और पुरा सामग्री

उत्खनन से प्राप्त कुछ पुरा सामग्री को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा संचालित बोधगया संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है। यह सामग्री दर्शकों के अवलोकनार्थ उपलब्ध है।

सुजातागढ़ का महत्व

सुजातागढ़ का यह स्तूप न केवल बौद्ध धर्म के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह हमें उस समय की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर की झलक भी देता है।

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