गौरी लंकेश हत्याकांड: सभी आरोपी जमानत पर, न्याय की प्रक्रिया पर सवाल

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गौरी लंकेश हत्याकांड: सभी आरोपी जमानत पर, जानिए पूरी कहानी

गौरी लंकेश हत्याकांड: सभी आरोपी जमानत पर, न्याय की प्रक्रिया पर सवाल

जमानत पर सभी आरोपी, न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल

पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के आरोपी शरद कालस्कर को हाल ही में बेंगलुरु की अदालत ने जमानत दी। इस प्रकार अब 18 में से 17 आरोपी जमानत पर बाहर हैं, जबकि एक आरोपी अभी भी फरार है।

कर्नाटक उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार यह उल्लेख किया है कि त्वरित सुनवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार है। इसी आधार पर अदालत ने शरद कालस्कर को जमानत दी।

मामले की पृष्ठभूमि

    5 सितंबर 2017 को, 55 वर्षीय गौरी लंकेश को उनके बेंगलुरु स्थित आवास के बाहर अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी।

    वह दक्षिणपंथी विचारधारा के खिलाफ मुखर थीं और सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी से लिखने के लिए जानी जाती थीं।

    उनकी हत्या ने देशभर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की सुरक्षा पर बहस छेड़ दी थी।

  • मामले के 164 गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है।
  • आरोपियों के खिलाफ सबूत अभी भी अपर्याप्त माने जा रहे हैं।
  • 5 सितंबर 2017 को गौरी लंकेश की उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

जांच और गिरफ्तारियां

हत्या की जांच में सामने आया कि इसमें एक संगठित अपराध सिंडिकेट शामिल था। जांच एजेंसियों ने 18 संदिग्धों को आरोपी बनाया, जिनमें से 17 को गिरफ्तार किया गया, और एक आरोपी, विकास पटेल उर्फ दादा, अब भी फरार है। आरोपियों पर हत्या की साजिश रचने, हथियारों की व्यवस्था करने, और प्रशिक्षण देने का आरोप है।

क्या कहता है न्यायालय?

न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने गवाहों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रबंध किए हैं। इसके अलावा, अदालत को ऐसा कोई ठोस आधार नहीं मिला कि आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकें।

जमानत कैसे मिली?

अदालत ने शरद कालस्कर को यह कहते हुए जमानत दी कि वह हत्या की योजना का हिस्सा था, लेकिन सीधे तौर पर हत्या में शामिल नहीं था। इसके अलावा, अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि त्वरित सुनवाई का अधिकार हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। शरद 2018 से जेल में था, और लंबे समय से मुकदमे का इंतजार कर रहा था।

न्यायिक प्रक्रिया पर उठे सवाल

सभी आरोपियों की जमानत पर रिहाई से पीड़ित परिवार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यह फैसला न्याय में देरी और दोषियों को बचाने का संकेत देता है।

जनता के बीच सवाल

इस पूरे घटनाक्रम ने न्यायिक प्रक्रिया और न्यायपालिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या इतनी गंभीर हत्या के मामले में जमानत देना सही है?

आगे की राह

अब इस केस में मुख्य सवाल यह है कि न्यायिक प्रक्रिया कितनी तेज होगी और क्या फरार आरोपी को पकड़ने में एजेंसियां कामयाब होंगी। इस बीच, पीड़ित परिवार और समर्थक इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष न्याय की मांग कर रहे हैं।

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