छठ के दिन खाना क्यों नहीं बनाया जाता?
सातम के दिन ठंडा खाना क्यों खाया जाता है?
आठम के दिन मेला और उत्सव क्यों मनाया जाता है?
सातम के दिन ठंडा खाना क्यों खाया जाता है?
आठम के दिन मेला और उत्सव क्यों मनाया जाता है?
सालों पहले वीर मेघमाया जैसे बहुजन समाज के क्रांतिकारी पैदा हुए थे, जिन्होंने जाति-जाति के भेदभाव को खत्म कर समानता का आंदोलन चलाया। इसके कारण ब्राह्मणवादी व्यवस्था टूटने लगी थी।
इसके विरोध में ब्राह्मणों ने षड्यंत्र रचा और सहस्रलिंग तालाब में पानी लाने के लिए 32 लाखणिया (32 गुणों वाले व्यक्ति) की बलि देने की साजिश रची।
ब्राह्मणों को सहस्रलिंग से 200 किमी दूर रहने वाले एक अछूत युवक में 32 गुण दिखाई दिए। और विक्रम संवत 1172 में महासुद सातम शुक्रवार के दिन वीर मेघमाया की बलि के रूप में हत्या कर दी गई।
उस सातम के दिन, वीर मेघमाया के शोक में किसी ने चूल्हा नहीं जलाया।
बच्चों और बुजुर्गों, जो भूखे नहीं रह सकते थे, उन्हें छठ के दिन का ठंडा खाना खिलाया गया।
और ब्राह्मणों ने एक बहुजन नायक की हत्या कर आठम के दिन उत्सव और जश्न मनाया।इसका मतलब है कि छठ, सातम, और आठम हमारे बहुजन समाज के वीर मेघमाया की हत्या का दिन है। इसलिए ब्राह्मणों का उत्सव मनाना समझ में आता है, लेकिन हम अपने बाप की हत्या का बदला लेने के बजाय उत्सव क्यों मना रहे हैं?
जाति-जाति के भेद मिटाने वाले वीर मेघमाया को आज एक ही जाति तक सीमित कर दिया गया है।
इस सच्चे इतिहास को दबाने के लिए शीतला माता की काल्पनिक कहानियाँ गढ़ दी गई हैं।
हमारे बाप ने कहा था,
इसके विरोध में ब्राह्मणों ने षड्यंत्र रचा और सहस्रलिंग तालाब में पानी लाने के लिए 32 लाखणिया (32 गुणों वाले व्यक्ति) की बलि देने की साजिश रची।
ब्राह्मणों को सहस्रलिंग से 200 किमी दूर रहने वाले एक अछूत युवक में 32 गुण दिखाई दिए। और विक्रम संवत 1172 में महासुद सातम शुक्रवार के दिन वीर मेघमाया की बलि के रूप में हत्या कर दी गई।
उस सातम के दिन, वीर मेघमाया के शोक में किसी ने चूल्हा नहीं जलाया।
बच्चों और बुजुर्गों, जो भूखे नहीं रह सकते थे, उन्हें छठ के दिन का ठंडा खाना खिलाया गया।
और ब्राह्मणों ने एक बहुजन नायक की हत्या कर आठम के दिन उत्सव और जश्न मनाया।इसका मतलब है कि छठ, सातम, और आठम हमारे बहुजन समाज के वीर मेघमाया की हत्या का दिन है। इसलिए ब्राह्मणों का उत्सव मनाना समझ में आता है, लेकिन हम अपने बाप की हत्या का बदला लेने के बजाय उत्सव क्यों मना रहे हैं?
जाति-जाति के भेद मिटाने वाले वीर मेघमाया को आज एक ही जाति तक सीमित कर दिया गया है।
इस सच्चे इतिहास को दबाने के लिए शीतला माता की काल्पनिक कहानियाँ गढ़ दी गई हैं।
हमारे बाप ने कहा था,
“जो कौम अपने इतिहास को नहीं जानती, वह कभी भविष्य का निर्माण नहीं कर सकती।”
जय मूलनिवासी