मौर्य काल के भोन स्तूप पर खतरा: ऐतिहासिक धरोहर बचाने के लिए वामन मेश्राम का बड़ा ऐलान
वामन मेश्राम ने एक गंभीर मुद्दा उठाते हुए कहा कि मौर्य काल की ऐतिहासिक धरोहर – भोन स्तूप और मौर्यकालीन भवन आज खतरे में हैं। सरकार उस स्थान पर डैम बनाने की योजना बना रही है, जिससे बुद्ध काल और मौर्य काल की अनमोल विरासत नष्ट होने का खतरा है।
मौर्य काल की धरोहर पर डैम का खतरा
उन्होंने बताया कि सरकार जानती है कि यह स्थान मौर्य काल का है, बुद्ध काल की धरोहर है, फिर भी वहां डैम बनाने की योजना बनाई जा रही है। यह ऐतिहासिक रूप से गलत और सांस्कृतिक रूप से विनाशकारी है।
इतिहासकारों के अनुसार वहां गौतम बुद्ध की अस्थियाँ भी मौजूद हैं, जो इसे भारत की सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जगहों में से एक बनाती है।
धरोहर बचाने के लिए देशव्यापी आंदोलन की तैयारी
मेश्राम ने कहा कि अगर सरकार अपनी योजना नहीं बदलती, तो इस विरासत को बचाने के लिए देशभर में एक बड़े स्तर का विरोध आंदोलन शुरू किया जाएगा।
सरकार के लिए दो विकल्प
विकल्प 1: मौर्यकालीन स्तूप और इमारत के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाकर उसे संरक्षित करें।
विकल्प 2: बुद्ध की अस्थियों को सुरक्षित स्थान (बुलढाणा) में स्थानांतरित कर एक विशाल स्मारक बनाएं।
मेश्राम ने कहा कि यह तकनीकी रूप से संभव है और सरकार चाहे तो दोनों विकल्पों में से कोई भी अपनाकर इतिहास बचा सकती है।
सरकार की जिम्मेदारी और समाज का हक
उन्होंने कहा कि यह धरोहर सिर्फ मौर्य इतिहास नहीं बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक और सभ्यतागत पहचान है। इसे नष्ट होने देना अपराध है।
निष्कर्ष: विरासत बचाने की राष्ट्रीय लड़ाई
वामन मेश्राम ने कहा कि अगर सरकार ने ऐतिहासिक भोन स्तूप की सुरक्षा का निर्णय नहीं लिया, तो संगठन पूरे देश में आंदोलन करेगा। बुद्ध विरासत को बचाने की यह लड़ाई हर बहुजन, हर भारतीय की जिम्मेदारी है।
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