मोदी को OBC की जाति जनगणना रोकने के लिए प्रधानमंत्री बनाया गया — वामन मेश्राम का आरोप

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बुलढाणा
प्रकाशित: 28 नवम्बर 2025
🔴 ब्रेकिंग: वामन मेश्राम का बड़ा आरोप — OBC जनगणना रोकने हेतु मोदी को OBC चेहरा बनाया गया

मोदी को OBC की जाति जनगणना रोकने के लिए प्रधानमंत्री बनाया गया — वामन मेश्राम का गंभीर आरोप

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देश में संविधान दिवस अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है, लेकिन वामन मेश्राम ने एक संवेदनशील और ज्वलंत प्रश्न उठाया है — OBC भाईयों की जाति-आधारित जनगणना आज तक क्यों नहीं करवाई गई? मेश्राम ने इसके पीछे राजनीतिक कारण बताते हुए सभा में कड़ा आरोप लगाया।

OBC जनगणना पर लगाये गए आरोप

वामन मेश्राम ने कहा कि OBC जाति-आधारित जनगणना देश की न्याय व्यवस्था और प्रतिनिधित्व के लिए अत्यंत आवश्यक है, पर यह आज तक नहीं हो पाई। उनका दावा है कि इस जनगणना को रोकने के लिए ही नरेंद्र मोदी को OBC चेहरे के रूप में प्रधानमंत्री बनाया गया।

“RSS-BJP ने नरेंद्र मोदी को OBC का मुखौटा बनाकर आगे किया, ताकि OBC जनगणना हमेशा के लिए रोकी जा सके।” — वामन मेश्राम

मोदी: नाम के OBC प्रधानमंत्री?

मेश्राम ने प्रश्न उठाया कि अगर मोदी वाकई OBC के लिए चुने गए हैं तो OBC समाज के हितों के लिए ठोस कार्य क्यों नहीं हुए। उनके अनुसार, मोदी केवल नाम के OBC प्रधानमंत्री हैं — असली नीति-निर्धारण किसी गुप्त समझौते के तहत चल रहा है।

“मोदी को OBC होने के बावजूद OBC भाइयों के अधिकार दिलाने के लिए निर्णायक कदम नहीं उठाते देखा गया है।” — वामन मेश्राम

इतिहास और राजनीति का संदर्भ

मेश्राम ने लाल कृष्ण आडवाणी के योगदान और बाद की राजनीतिक व्यवस्थाओं पर भी चर्चा की। उनके अनुसार आडवाणी ने BJP को मजबूती दी, पर बाद में राजनीतिक कारणों से नेतृत्व बदल गया और मोदी को OBC चेहरा बनाकर आगे रखा गया।

क्या यह OBC समाज के हित का सवाल है?

मेश्राम ने चेतावनी दी कि यदि जाति-आधारित जनगणना न हुई तो OBC समाज भविष्य में प्रतिनिधित्व और संसाधन वितरण के संदर्भ में वंचित रह सकता है। यह सिर्फ़ एक राजनीतिक मसला नहीं बल्कि समुदाय के अस्तित्व का प्रश्न है।

अंत में मेश्राम ने सभी मूलनिवासी, OBC, SC, ST और अन्य पिछड़े वर्गों से इस मुद्दे पर सतर्क रहने का आह्वान किया और कहा कि यह सवाल हर बहुजन और देशवासी के लिए महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

वामन मेश्राम के आरोप राजनीतिक रूप से साहसिक और संवेदनशील हैं — वे यह पूछते हैं कि क्या सत्ता के खेल ने जनगणना जैसी मूलभूत प्रक्रिया को प्रभावित किया है। यह विषय जनहित और बहुजन समाज की भावी रणनीतियों के लिए निर्णायक हो सकता है।

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जय मूलनिवासी
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